Friday 28 October 2016

अधूरे हम , अधूरे तुम

अधूरे हम , अधूरे तुम, जल रहे हैं ख़ामोशी की आग में
अधूरे ख्वाब अधूरी ज़िन्दगी, गुजर रही है खिजां की बहार में 

सालिहा मंसूरी 

31.07.15 3:25 pm 

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