बहुत उदास हैं ये दिन
बड़ी सहमी हैं ये रातें
हर साँझ है जैसे
सूना आँगन
हर आँख है जैसे
सावन का बादल
- सालिहा मंसूरी
24 . 2 .16 , 02 : 41 pm
बहुत उदास हैं ये दिन
बड़ी सहमी हैं ये रातें
हर साँझ है जैसे
सूना आँगन
हर आँख है जैसे
सावन का बादल
- सालिहा मंसूरी
24 . 2 .16 , 02 : 41 pm
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