Wednesday 3 June 2015

ज़िन्दगी भी कैसी पहेली है

ज़िन्दगी भी  कैसी  पहेली  है
कभी  ख़ुशी  है तो कभी गम
कभी  आंसू  है तो कभी मुस्कराहट
अज़ब है ये जिंदगी का खेल

जिसके हैं कई  रंग अनेक
कौन जाने  क्या हो जाये
कल  जिंदगी  के सफ़र में
रुक रही है  साँस  ढल रहा है सूरज
कल फिर इक नई सुबह होगी

ज़िन्दगी का नया रंग लेकर
यूँ ही चलती रहेगी ज़िन्दगी सुबहो -शाम
बस यही है ज़िन्दगी जीने का नाम
बस यही है ...............

- सालिहा मंसूरी

30.04.2014

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