Wednesday 13 December 2017

आज फिर तन्हा हूँ मैं

आज फिर तन्हा हूँ मैं
तुमसे बिछड़कर
लेकिन कुछ पल
जैसे आज भी जिन्दा हैं
कुछ लम्हें 
जैसे आज भी ठहरे हैं ....
- सालिहा मंसूरी

14.02.16 

8 comments:

Ravindra Singh Yadav said...

नमस्ते, आपकी यह प्रस्तुति BLOG "पाँच लिंकों का आनंद"
( http://halchalwith5links.blogspot.in ) में
गुरूवार 14-12-2017 को प्रकाशनार्थ 881 वें अंक में सम्मिलित की गयी है। प्रातः 4:00 बजे के उपरान्त प्रकाशित अंक चर्चा हेतु उपलब्ध हो जायेगा।
चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं, आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद।

'एकलव्य' said...

बहुत ही सुन्दर व कोमल भाव रचना का

सुशील कुमार जोशी said...

सुन्दर

NITU THAKUR said...

बहुत सुंदर रचना

Anita Laguri "Anu" said...

... बहुत खूबसूरत कविता.आज फिर तन्हा हुं..!!!

दिगम्बर नासवा said...

कई बार ठहरे लम्हे ज़िन्दगी बन जाते हैं ...

Sudha Devrani said...

बहुत सुन्दर....

Sudha Devrani said...

बहुत सुन्दर....

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