Thursday 22 October 2015

अपनी भी इक दुनिया है

अपनी भी इक दुनिया है
इस दुनिया से दूर
जहाँ कुछ उम्मीदें हैं
और कुछ सपने
जो आसमान में उड़ती
पतंगों की तरह
उड़ान भरते हैं .......


- सालिहा मंसूरी

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