Saturday 31 December 2016

वो सुबह कभी तो आएगी

वो सुबह कभी तो आएगी
जो साथ तुमको लाएगी
फिर खिजां की सूखी शाख़ पर
हरी डालियाँ लहलहायेंगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जो साथ तुमको लाएगी
फिर हर फूल पे भंवरे गुनगुनाएँगे
और शबनम की बूँद चुराएंगे
वो सुबह कभी तो आएगी
जो साथ तुमको लाएगी

फिर ये अंधेरों की खामोशियाँ भी मुस्कुरायेंगी
और हंसकर गले तुमको लगाएंगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जो साथ तुमको लाएगी 


सालिहा मंसूरी

04.09.15  10:30  pm  

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