तुम मिले तब इस दिल ने
धड़कना सीखा था
तुम मिले तब इन आँखों
ने
सपनों को बुनना सीखा था
तुम मिले तब इन हांथों
ने
तस्वीर बनाना सीखा था
तुम मिले तब इन लबों ने
मुस्कुराना सीखा था
और आज तुम्हारे बिना
न दिल धड़कता है
न आँखें सपने बुनती हैं
न हाथ तस्वीर बनाते हैं
और न लब मुस्कुराते हैं
आज तुम्हारे बिना
ये सब इक बुत
बनकर रह गए हैं ----
सालिहा मंसूरी
05.09.15 6:39 am
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