Friday 20 January 2017

न ये ज़मी तुम्हारी है

न ये ज़मी तुम्हारी है
न वो आसमां तुम्हारा है 
न ये घर तुम्हारा है 
न ये दुनियाँ तुम्हारी है 

इस दुनियाँ से दूर 
उन सितारों के पास 
तुम्हें भी इक रोज जाना है .....


सालिहा मंसूरी

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