Wednesday 14 June 2017

तोड़ दो इक दिन आकर

तोड़ दो इक दिन आकर
इन बंद लबों की ख़ामोशी को तुम
और दे दो इक हंसीं मुस्कराहट
इन सहमे से लबों पर तुम ....

सालिहा मंसूरी

21.01.16 pm 

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