Thursday 24 May 2018

अँधेरों में मुँह छुपा लो

अँधेरों  में  मुँह  छुपा  लो
कि इन आँसुओं को कोई देख न ले
तन्हाईयों को गले लगा लो
कि इस बेबसी को कोई परख न ले
- सालिहा मंसूरी
15 - 02 - 16  
07 : 45 pm

1 comments:

कविता रावत said...

सच दुनिया कहाँ सरलता से किसी का दुःख जानती है
बहुत खूब!

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