Friday, 23 September 2016

बाहों में आपकी सिमटना चाहती हूँ

बाहों में आपकी सिमटना चाहती हूँ
दिल में धड़कती हुयी आवाज़ को
करीब से सुनना चाहती हूँ
आग की लपटों से दूर
आपकी मन की छाँव में
महकना चाहती हूँ

- सालिहा मंसूरी

14.07.2014

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