Saturday 8 October 2016

गर्म हवाएं

ये गर्म हवाएं भी आज मुझे
शीतल लग रहीं हैं
कहीं ये तुम्हारे ने का संकेत तो नहीं
हाँ ! अब तुम आ जाओ
भले ही तुम मेरे लिए अपने साथ
गर्म हवाएं ही ले आओ
मुझे ठंडी हवाओं की आरजू भी नहीं
ये गर्म हवाएं मेरे इंतजार की विरह वेदना जितनी
गर्म भी नहीं

-सालिहा मंसूरी

07 .06 .15 07.30 pm 

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