वो शब्द आज अचानक ही
जुबां पर आ गया
जिस शब्द से तुम
अक्सर मुझे पुकारा करते
थे
और मैं
तुम्हारी आवाज़ की
मधुरता से भरे हुए
उस शब्द को सुनने के
लिए
अक्सर व्याकुल हो उठती
मेरी व्याकुलता उन
दिनों
और अधिक व्याकुल हो
उठती
जब – जब मुझे उस शब्द
की
गूँज सुनायी देती –
मेरी व्याकुलता आज भी
व्याकुल है , तुम्हारी
आवाज़
की मधुरता से भरे हुए
उस शब्द को सुनने के
लिए -------
सालिहा मंसूरी
0 comments:
Post a Comment