Monday, 30 January 2017

बीते दिनों तुमसे बिछड़े

बीते दिनों तुमसे बिछड़े 
इक अरसा हो गया 
लेकिन हर -दिन 
हर -पल, हर- क्षण 

तुम याद आते रहे 
और धड़कते रहे 
इस धड़कन में 
इक ख्वाब की तरह 

वो ख्वाब जो कभी 
पूरा न हो सका
लेकिन उस ख्वाब को 
पूरा करने की ख्वाहिश 

आज भी बाक़ी है 
इस दिल में 
इक विशवास की 
जीत की तरह .....


सालिहा मंसूरी

3 comments:

kuldeep thakur said...

दिनांक 31/01/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...

रश्मि शर्मा said...

बढ़ि‍या

दिगम्बर नासवा said...

विश्वास गहरा हो तो ज़रूर पूरे होते हैं ख़्वाब ... भावपूर्ण शब्द ....

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