उन शब्दों की गूँज,
आज भी मेरे कानों में
है ,
जिन शब्दों ने मेरे दिल
को ,
बहुत ठेस पहुंचायी थी ,
जब भी इन लबों को
उन शब्दों की गूँज
सुनाई देती है –
मैं अपनी हथेलियों से –
उन लबों को बंद कर लेती
हूँ
और फिर इक गहरी सांस
लेकर
उन चमकते तारों को
देखती हूँ
जो मुझमें ऊर्जा का
संचार करते हैं ...
सालिहा मंसूरी
11.09.15 9:42 pm
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