Saturday 16 May 2020

बहुत उदास हैं

बहुत उदास हैं ये दिन
बड़ी सहमी हैं ये रातें
हर  साँझ  है  जैसे
सूना  आँगन
हर आँख है जैसे
सावन का बादल

- सालिहा मंसूरी

24 . 2 .16 , 02 : 41 pm

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