आसमान जैसी छत हो जिसके सर पर
वो अकेला कहाँ
पेड़ों जैसे रही हों जिसके साथ
वो अकेला कहाँ
दिल में सुलगती ख़ामोशी हो जिसके पास
वो अकेला कहाँ ..............
सालीह मंसूरी -
13 .7 .15 -12:16 pm
वो अकेला कहाँ
पेड़ों जैसे रही हों जिसके साथ
वो अकेला कहाँ
दिल में सुलगती ख़ामोशी हो जिसके पास
वो अकेला कहाँ ..............
सालीह मंसूरी -
13 .7 .15 -12:16 pm
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