मैं अकेली कहाँ -
मेरे टूटे हुए ख्वाबों की ताबीर
मेरे साथ है
मैं अकेली कहाँ
मेरे जख्मों की तक़दीर
मेरे साथ है
मेरे साथ है
मेरी खामोशियों की तनहाइयाँ
मेरे साथ है
मैं अकेली कहाँ
तुम्हारी यादों की परछाइयाँ
मेरे साथ है ...............
सालिहा मंसूरी -
13.7 .15 -12:16 pm
मेरे टूटे हुए ख्वाबों की ताबीर
मेरे साथ है
मैं अकेली कहाँ
मेरे जख्मों की तक़दीर
मेरे साथ है
मेरे साथ है
मेरी खामोशियों की तनहाइयाँ
मेरे साथ है
मैं अकेली कहाँ
तुम्हारी यादों की परछाइयाँ
मेरे साथ है ...............
सालिहा मंसूरी -
13.7 .15 -12:16 pm
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