Sunday 19 July 2015

ऐ हवा !

ऐ  हवा ! 
तू हर दिशा का भ्रमण करती है 
तू तो दुनिया के हर-इक 
कोने से परिचित होगी 

ऐ  हवा ! 
अगर तू दुनिया के हर इक 
कोने से परिचित है 
तब तो तू दुनिया के हर -इक 
इंसान के व्यक्तित्व से भी 
परिचित होगी 
क्योंकि तू दुनिया के हर-इक 
इंसान की आत्मा का स्पर्श करती है 

ऐ  हवा ! 
तू मुझे भी एक ऐसे इंसान 
के व्यक्तित्व से परिचित करा दे 
जो हर क़दम पे मेरे साथ चल पड़े 
बिना किसी शर्त के .................
बिना किसी स्वार्थ के ..............

- सालिहा मंसूरी 
13.06.15, 1:36 pm

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