ऐ हवा !
तू हर दिशा का भ्रमण करती है
तू तो दुनिया के हर-इक
कोने से परिचित होगी
ऐ हवा !
अगर तू दुनिया के हर इक
कोने से परिचित है
तब तो तू दुनिया के हर -इक
इंसान के व्यक्तित्व से भी
परिचित होगी
क्योंकि तू दुनिया के हर-इक
इंसान की आत्मा का स्पर्श करती है
ऐ हवा !
तू मुझे भी एक ऐसे इंसान
के व्यक्तित्व से परिचित करा दे
जो हर क़दम पे मेरे साथ चल पड़े
बिना किसी शर्त के .................
बिना किसी स्वार्थ के ..............
- सालिहा मंसूरी
13.06.15, 1:36 pm
तू हर दिशा का भ्रमण करती है
तू तो दुनिया के हर-इक
कोने से परिचित होगी
ऐ हवा !
अगर तू दुनिया के हर इक
कोने से परिचित है
तब तो तू दुनिया के हर -इक
इंसान के व्यक्तित्व से भी
परिचित होगी
क्योंकि तू दुनिया के हर-इक
इंसान की आत्मा का स्पर्श करती है
ऐ हवा !
तू मुझे भी एक ऐसे इंसान
के व्यक्तित्व से परिचित करा दे
जो हर क़दम पे मेरे साथ चल पड़े
बिना किसी शर्त के .................
बिना किसी स्वार्थ के ..............
- सालिहा मंसूरी
13.06.15, 1:36 pm
0 comments:
Post a Comment