Thursday 13 October 2016

तुम्हारी यादों के वजूद

तुम्हारी यादों के वजूद को मिटाने की बहुत कोशिश की पर हर बार असफल रही ,सोच रही हूँ क्या यादों का अस्तित्व इतना मजबूत होता है

-सालिहा मंसूरी

17.05.15 07.23 pm 

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