Thursday 3 November 2016

कोई तो होता

कोई तो होता, ऐसा
इन वीरां गलियों में,
जिसे मैं अपना कह पाती

जो मेरी बात पे हँसता
और मैं उसकी इक
मुस्कराहट से –
कई सदियाँ बिता देती ........... 

सालिहा मंसूरी
17.08.15  7:16 pm  

0 comments:

Post a Comment