Saturday 17 December 2016

माना कि आज का दिन बहुत भारी था

माना कि आज का दिन
बहुत भारी था
लेकिन आज फिर
दिल के दरवाजे पर
उम्मीदों के तारों ने
दस्तक दी
मैंने दरवाजा खोला
तो आँखों के सामने
गाँधी , नेहरु और कलाम साहब
की तस्वीरें थीं
और फिर उम्मीदों के तारों ने
एक सवाल की तरह पूछा
पहचाना इन्हें
और फिर इक इक करके
इन महान इंसानों के
व्यक्तित्व का मुझे
परिचय दिया
और कहा
क्या तुम नहीं चाहती
की तुम भी इन
महान व्यक्तित्व वाले
इंसानों की तरह
इक महान इंसान बनो
मैंने हांमी भरते हुए
अपना सर हिलाया
और फिर
उम्मींदों के तारों ने कहा
अगर तुम इन महान
इंसानों की तरह 
इक महान इन्सान
बनना चाहती हो
तो इन महान व्यक्तित्व वाले
इंसानों के पद चिन्हों  पर चलकर
सब कुछ छोड़ कर
सब कुछ भूल कर
अपने हांथों में
महान भारत का महान झंडा
फहराती हुई
जिंदगी की दौड़ में
सबसे आगे निकल जाओ .....


सालिहा मंसूरी 

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