Monday 16 January 2017

कुछ ख़ामोशियां हैं

कुछ ख़ामोशियां हैं 
तुम्हारे नाम कीं
कुछ उदासियाँ हैं 

तुम्हारे नाम कीं 
जो आज इन पलकों 
पर बिखरी पड़ीं हैं ........ 


सालिहा मंसूरी

3 comments:

kuldeep thakur said...

दिनांक 17/01/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...

दिगम्बर नासवा said...

ये उदासियाँ भी बह जयंगी आँसुओं के संग ...

Unknown said...

कम शब्दो में प्रेम क सागर में उतरती हुई कविता
http://savanxxx.blogspot.in

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