बीते दिनों तुमसे बिछड़े
इक अरसा हो गया
लेकिन हर -दिन
हर -पल, हर- क्षण
इक अरसा हो गया
लेकिन हर -दिन
हर -पल, हर- क्षण
तुम याद आते रहे
और धड़कते रहे
इस धड़कन में
इक ख्वाब की तरह
वो ख्वाब जो कभी
पूरा न हो सका
लेकिन उस ख्वाब को
पूरा करने की ख्वाहिश
आज भी बाक़ी है
इस दिल में
इक विशवास की
जीत की तरह .....
सालिहा मंसूरी
3 comments:
दिनांक 31/01/2017 को...
आप की रचना का लिंक होगा...
पांच लिंकों का आनंद... https://www.halchalwith5links.blogspot.com पर...
आप भी इस प्रस्तुति में....
सादर आमंत्रित हैं...
बढ़िया
विश्वास गहरा हो तो ज़रूर पूरे होते हैं ख़्वाब ... भावपूर्ण शब्द ....
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