Wednesday 4 January 2017

उन शब्दों की गूँज

उन शब्दों की गूँज,
आज भी मेरे कानों में है ,
जिन शब्दों ने मेरे दिल को ,
बहुत ठेस पहुंचायी थी ,
जब भी इन लबों को
उन शब्दों की गूँज

सुनाई देती है –
मैं अपनी हथेलियों से –
उन लबों को बंद कर लेती हूँ
और फिर इक गहरी सांस लेकर
उन चमकते तारों को देखती हूँ
जो मुझमें ऊर्जा का संचार करते हैं ...


सालिहा मंसूरी 

11.09.15   9:42 pm  

0 comments:

Post a Comment