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ख़ामोशी
Sunday 8 January 2017
नहीं जानती कि तुम कौन हो
नहीं जानती कि तुम कौन हो
कहाँ रहते हो
और क्या नाम है
लेकिन फिर भी
न जाने क्यूँ ये दिल
सिर्फ तुम्हारा
इंतज़ार करता है
और ये आँखें उन
चमकते तारों में
तुम्हारा अक्स ढूंढती रहती हैं -----
सालिहा मंसूरी
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