About

सन् 1993 में , भारत के क़स्बा कोंच , जिला जालौन उ.प्र. में जन्मी सालिहा मंसूरी बड़ी ही एकाकी व संवेदनशील स्वभाव की हैं.

अमृता प्रीतम , साहिर लुधियानवी , इमरोज़, हरकीरत हीर इनके प्रेरणाश्रोत रहे हैं. इनकी कविताओं को पढ़कर इनके मन में कविता का अंकुर फूटा और वो क़लम अनवरत जारी है.

 सालिहा ने हिन्दी साहित्य में एम्.ए. किया , फिर उर्दू का लगाव भी उन्हें उर्दू किताबों की तरफ ले 
गया. अब जितना दख़ल इनका उर्दू में है उतना ही हिन्दी में भी है. लेकिन लिपि हिन्दी ही है.

फ़िलहाल नेट की तैयारी में व्यस्त हैं साथ में लेखन भी करती रहती हैं. प्रगतिशील लेखक संघ की सदस्या भी हैं. नई क़लम पब्लिशिंग हाउस के लिए प्रूफ एडीटर का काम भी करती हैं.  

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