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ख़ामोशी
Thursday, 3 November 2016
कोई तो होता
कोई तो होता, ऐसा
इन वीरां गलियों में,
जिसे मैं अपना कह पाती
जो मेरी बात पे हँसता
और मैं उसकी इक
मुस्कराहट से –
कई सदियाँ बिता देती ...........
सालिहा मंसूरी
17.08.15 7:16 pm
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