बन्द पलकों के ख्वाब टूटे हैं
खुली आँखों का इंतज़ार नहीं टूटा
दो क़दम चलकर तेरे हाथ छूटे हैं
तेरा जीवन भर का साथ नहीं छूटा
तेरे शब्दों की गूँज से दिल टूटा है
मेरा अपनी उम्मीदों पर एतवार नहीं टूटा ....
सालिहा मंसूरी -
12.01.16 10:30 pm
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