कितनी कोशिशें की थी मैंने
फिर भी मैं हार जाती हूँ
अँधेरों से भी तो कितना लड़ी
फिर भी मैं टूट जाती हूँ
कभी तो आये वो दिन वो रात
जब मैं कभी न हारूँ
जब मैं कभी न टूटूँ
- सालिहा मंसूरी
24 . 2. 16 , 02 : 50 AM
कितनी कोशिशें की थी मैंने
फिर भी मैं हार जाती हूँ
अँधेरों से भी तो कितना लड़ी
फिर भी मैं टूट जाती हूँ
कभी तो आये वो दिन वो रात
जब मैं कभी न हारूँ
जब मैं कभी न टूटूँ
- सालिहा मंसूरी
24 . 2. 16 , 02 : 50 AM
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