क्षण - भंगुर है ये जीवन फिर क्यों माया का है बंधन पल दो पल के रिश्ते नाते फिर क्यों दर्द भरा है दिल के अंदर
- सालिहा मंसूरी
20 - 2 - 16 , 07 : 20 ( pm )
0 comments:
Post a Comment