Friday 23 October 2015

कल की ख़बर नहीं

आज जिन्दा हूँ कल की ख़बर नहीं
ये ज़िन्दगी इक धुआं है
जिसे किसी साये की
जुरूरत नहीं ........


- सालिहा मंसूरी

1 comments:

कविता रावत said...

बहुत खूब!
कल क्या होगा ये किसने जाना

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