Saturday 24 September 2016

वही है घर ,वही कमरे और दीवारें

वही है घर ,वही कमरे और दीवारें
वही है किताबें ,वही हैं दोस्त वही हैं
वही हैं ख्वाब ,वही है जिंदगी
वही है सफ़र ,वही है तन्हाई
फिर भी न जाने क्यों लगता है
कुछ खो सा गया है

सालिहा मंसूरी

21 -10 14 5:20 PM

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