अनदेखा अनजाना धुंधला सा चेहरा
मुझे हर -रोज दिखाई देता है
कौन है वो जो मुझे पलकों पे
बिठाए रहता है
इक बार तो मिले वो
तो पूंछूं उससे
कौन हो तुम
जो इस दिल में
समाये रहते हो
कभी तो मिल 'ए ' अजनबी
कि तेरे साये को भी हमने
इस दिल में छुपाये रखा है ........
- सालिहा मंसूरी
मुझे हर -रोज दिखाई देता है
कौन है वो जो मुझे पलकों पे
बिठाए रहता है
इक बार तो मिले वो
तो पूंछूं उससे
कौन हो तुम
जो इस दिल में
समाये रहते हो
कभी तो मिल 'ए ' अजनबी
कि तेरे साये को भी हमने
इस दिल में छुपाये रखा है ........
- सालिहा मंसूरी
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