Thursday 12 January 2017

राख हो गए वो सपने

राख हो गए वो सपने
जो देखे थे कभी मैंने
तुम्हारी पलकों के तले
चुप है वो राख आज भी
लेकिन उस चुप सी राख में 

शोलों की ज्वाला
सुलग रही है आज भी
इक चिंगारी लगा कर देखो
तुम्हें उस चुप सी राख में
शोलों की ज्वाला भड़कती
हुई नज़र आएगी -----


सालिहा मंसूरी 

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